Maheshwar मध्यप्रदेश के खरगोन जिले का छोटा सा शहर अपने में इतिहास को समेटे हुए है
यहां पर किला व कई मंदिर है. Maheshwar जन प्रिय रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर की राजधानी रहा है. यहां पर देवी अहिल्याबाई द्वारा नर्मदा नदी पर बनाए गए घाट और सुंदर मंदिर है.घाटों और मंदिरों का मनोरम प्रतिबिंब नर्मदा में दिखाई पड़ता है.
Maheshwar में देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने कार्यकाल में हैदराबादी बुनकरों द्वारा महेश्वरी साड़ी बनवाना शुरू किया. Maheshwar में बनी सिल्क साड़ियां विश्व भर में प्रसिद्ध है यहां की साड़ियों में दो तरफ से बुनाई होती है.इसमें रिवर्सिबल बॉर्डर होता है जिसे बुगडी कहा जाता है.यह साड़ी दोनों तरफ से पहनी जाती है. यहाँ की साड़ी अपने अनोखी ज्यामितिय डिजाइन के कारण अत्यंत आकर्षक बन पड़ती है.आज भी यहां पर हाथ करघे से बहुत ही मुलायम बुनाई की जाती है.
Maheshwar को गुप्त काशी भी कहा जाता है .यह शिव की नगरी है.महेश्वर का पौराणिक महत्व है .स्कंद पुराण, वायु पुराण आदि में Maheshwar महिष्मति नाम से वर्णित किया गया है.
क्या देखें
Maheshwar का किला ,जहां पर रानी अहिल्याबाई की राजगद्दी पर बैठी प्रतिमा है. महेश्वर में घाट के आसपास कालेश्वर, राजराजेश्वर, रत्नेश्वर और अहिलेश्वर मंदिर है.नर्मदा नदी का विशाल तट और यहां की सहस्त्र धारा देखने के लिए नाव से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
कैसे जाएं
महेश्वर आगरा मुंबई नेशनल हाईवे पर धामनोद के पास स्थित है. धामनोद से बाय रोड कनेक्टिविटी मिलती है. निकटम हवाई अड्डा इंदौर है जो देवी अहिल्या के नाम पर ही है. इंदौर रेल मार्ग से देश के सभी बड़े नगरों से जुड़ा हुआ है. महेश्वर आने के लिए रेल से इंदौर तक आना होगा. महेश्वर,धामनोद आदि स्थानों पर एवं मार्ग में कई अच्छे ढाबे मिल जाते हैं. जहां सभी तरह का भोजन उपलब्ध होता है.
कब जाएँ
जुलाई से मार्च के बीच कभी भी . गर्मियों में यहाँ का तापमान चालीस डिग्री रहता है .
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