Jagannath puri भगवान जगन्नाथ का निवास स्थान है, चार धामों में से एक धाम है
हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह चार धामों में से एक धाम माना जाता है .भारत के पूर्वी समुद्री तट पर बसा छोटा सा नगर Jagannath puri धार्मिक मान्यताओं तथा रथ यात्रा के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है .कृष्ण भक्त यहां पर 12 महीने जुटे रहते हैं.
Jagannath puri ,धार्मिक यात्रा के साथ-साथ जो लोग ऐतिहासिक स्मारकों ,मंदिरों व समुद्र तटों को देखने की शौकीन है उनके लिए जगन्नाथ पुरी एक बड़ा टूर पैकेज है .यहां पर रुक कर भगवान जगन्नाथ की भक्ति में लीन हो सकते हैं .इसके बाद पुरी के सुंदर बीच और हर-हराते समुद्र का लुत्फ़ ले सकते हैं .
निकट ही भुवनेश्वर है जहां पर कई ऐतिहासिक स्मारक,मंदिर , नंदन कानन वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है. साथ ही कोणार्क का सूर्य मंदिर अपनी विशेषताओं के साथ पर्यटकों को एक अलग लोक में ले जाता है . यही नहीं Jagannath puri से 70 किलोमीटर दूर एशिया की सबसे बड़ी चिलिका झील है जिसमें आप बोटिंग कर डॉल्फिन को देख सकते हैं.
कैसे व कब जाये Jagannath puri
Jagannath puri जाने के लिए निकटस्थ हवाई अड्डा भुवनेश्वर है .जगन्नाथ पुरी सीधे रेल द्वारा दिल्ली ,मुंबई ,कोलकाता ,भोपाल ,इंदौर ,उज्जैन व राजस्थान से जुड़ा है. बारह महीने जा सकते है . दिसम्बर जनवरी अधिक उपयुक्त है .
इंदौर व उज्जैन के लोगों के लिए उज्जैन से सीधे पुरी की ट्रेन मिलती है .जिसमें इंदौर पुरी हमसफर ट्रेन ,जोधपुर से पुरी के लिए लगभग प्रति सप्ताह एक ट्रेन रवाना होती है . समय पूर्व आरक्षण करके आना-जाना किया जा सकता है.
क्या देखें Jagannath puri में
भुवनेश्वर, पुरी, कोणार्क सूर्य मंदिर ,चिल्का झील , ब्रिह्देश्वर मंदिर, नंदनकानन वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी भुवनेश्वर के पास पांडवों की गुफा आदि प्रमुख स्थान है.
ये सब पर्यटकों को अवश्य देखना चाहिए. सभी स्थानों को देखने के लिए कम से कम तीन नाइट चार दिन का प्रोग्राम बनाकर जाना चाहिए
Jagannath puri यात्रा संस्मरण
जगन्नाथ पुरी जाने का सौभाग्य दो बार आया .एक बार 2006 में परिवार के साथ और दूसरी बार मित्रों के साथ .पहली बार जब गए थे तो तब जगन्नाथ पुरी का स्वरूप पुराना था . साफ-सफाई व बीच पर व्यवस्थाएं तथा होटल , रुकने के स्थान अच्छे नहीं थे .
लेकिन जब दूसरी बार मित्रों के साथ गए तो इसमें 5-6 साल का अंतर आ गया था . जब वहां जाकर देखा तो पुरी के परिवर्तन ने चकित कर दिया .चौड़ी सड़कें , बीच पर साफ सुथरा समुद्र का किनारा और चारों तरफ फैली हरियाली ने मनमोह लिया.
पहली बार जब गए थे तब एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की चिलिका झील में हमने लगभग 3 घंटा बोटिंग की और समुद्र के मुहाने तक गए . डॉल्फिन के करतबों का आनंद उठाया .
लेकिन उसके बाद दूसरी बार गए तो कुछ प्रतिबंध लग गए. पर्यावरण के कारण बोट अब आगे तक नहीं जाती है. फिर भी एशिया की सबसे बड़ी झील में बोटिंग करने का अनुभव अवश्य लेना चाहिए.
कोणार्क के सूर्य मंदिर में खजुराहो की तरह कामकला को पत्थरों में उकेरा गया है .यहां पर गाइड मिल जाते हैं युवा यदि माता-पिता के साथ जा रहे हैं तो उन्हें अपने पेरेंट्स के लिए पृथक गाइड और स्वयं के लिए अलग गाइड रखना चाहिए .जिससे कि उन मूर्तियों की विशेषता तो पता लगे लेकिन पारिवारिक रूप से असहजता का अनुभव न हो.
मित्रों के साथ जब यात्रा करी तो जुलाई का महीना था और रथयात्रा निकलने वाली थी .हम लोग नागपुर से फोर व्हीलर से गए थे .एक लंबी थका देने देने वाली यात्रा के बाद मार्ग में रथ यात्रा की प्रतिकृतियां बनते हुए देखना एक अच्छा अनुभव था .
जगन्नाथ यात्रा में रथ खींचने के लिए हजारों -लाखों लोग जुड़ते हैं . दो दिन तक हमने रथ यात्रा को भक्ति भाव से निहारा. भगवान जगन्नाथ की रसोई में बने पकवानों का प्रसाद ग्रहण किया.
हमारा देश आस्था से चल रहा है और व्यक्ति को आस्था कभी छोड़ना नहीं चाहिए. आस्था ही वह चीज है जो जीवन में बड़े-बड़े संकटों से उबरने में मदद करती है. यही कारण है कि हिंदू सभ्यता आज तक कायम है.
शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित किए गए चार धामों ने आज विराट स्वरूप ग्रहण कर लिया है .और भारत के पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण के एकीकरण में चार धामों का अद्भुत योगदान है .
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photo courtesy mytrip