Kausani प्रकृति के कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली है , कभी गांधीजी ने इसे स्विट्ज़रलैंड कहा था
Kausani उत्तराखंड में है . उत्तराखंड अपने हिल स्टेशनों के कारण अत्यधिक प्रसिद्ध है .उत्तराखंड में आप चाहे काठगोदाम होकर नैनीताल ,मुक्तेश्वर, अल्मोड़ा जाये सभी स्थान अपनी तरह से अलग विशेषता लिए हुए हैं .
नैनीताल से कोई 65 किलोमीटर दूरी पर अल्मोड़ा है और यहां से भी 53 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव को Kausani पड़ता है .जो प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली है.
कौसानी को कभी गांधीजी ने मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा था .यह कभी रहा होगा लेकिन आज यदि इसमें स्विट्जरलैंड की छाया देखनी है तो आपको नवंबर दिसंबर के महीने में जाना होगा .गर्मियों में नीरस हो जाता हैं.
महात्मा गाँधी यहाँ 1928 में आये थे
Kausani गांव की ऊंची पहाड़ी पर गांधी जी का एक आश्रम है . इसका नाम अनासक्ति आश्रम है . महात्मा गाँधी यहाँ 1928 में आये थे .उन्होंने यहाँ पर अनासक्ति पर समीक्षा लिखी थी . यह स्थान गाँधी के दर्शन का अध्ययन व शोध केंद्र के रूप में विकसित हो गया है .
बताया जाता है कि यह किसी की कंपनी के मालिक का गेस्ट हाउस था .जब गांधी जी अल्मोड़ा आए थे तो यहां उन्हें लाया गया था .यहां का मौसम और यहां की आबोहवा गांधी जी को इतनी अच्छी लगी कि वह निर्धारित तीन दिन की जगह लगभग एक महीना तक रुके .
Kausani की पहाड़ी पर बने इस आश्रम में आज भी गांधी जी की स्मृतियों को सहेज कर रखा गया है .आजादी की लड़ाई के दौरान गांधी जी और उनके सहयोगी द्वारा किए गए कार्यों पर आधारित एक आदमकद चित्रों की प्रदर्शनी स्थाई रूप से भवन में लगाई गई है .
यहां प्रार्थना भवन है और लोगों को रूकने के लिए कमरे की उपलब्ध कराए जाते हैं .सुबह-शाम जिस तरह से गांधी जी के अन्य आश्रमों में दिनचर्या होती है वही यहां अपनाई जाती है.
ध्यान योग और प्रार्थना के साथ यहां का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से सरोबार है .पहाड़ी के एक कोने से जहां आश्रम है कंचनजंगा की पर्वतमाला दिखाई पड़ती है . बर्फ से आच्छादित चोटियों को देखना यहां से अधिक मनोरम होता है.
Kausan में इसके अलावा एक टी गार्डन है जो पुराने टी स्टेट की याद दिलाता है .आजकल यह उपेक्षित सा है .इसके पास ही मार्ग में एक शॉल फैक्ट्री है जहां पर हाथ करघे पर शाल बुनी जाती है .
इस फैक्ट्री के बाहर आउटलेट है जहां से आप यहां के बने हुए कुर्ते और शाल खरीद सकते हैं . यहां से ली गई सामग्री भी अच्छी क्वालिटी की होती है इसलिए जब भी जाए उसने कुछ अपने अपनों के लिए लिए लेकर आए.
Kausani कैसे जाये
Kausani जाने के लिए काठगोदाम तक दिल्ली से ट्रेन उपलब्ध है .निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है .काठगोदाम से बस या टैक्सी के द्वारा Kausani पहुंचा जा सकता है. यहां रहने के लिए होटल भी है ,आश्रम में रुकना है तो प्री बुकिंग करा कर आना चाहिए .
Kausani कब जाएं
बारिश को छोड़कर क़भी भी . अप्रैल मई जून के महीने में तापमान थोड़ा ज्यादा रहता है और ठंड में भी काफी ठंड गिरती है .इसलिए मौसम की तैयारी के साथ में वहां जाना चाहिए.
क्या खाएं
Kausani में यदि आप गांधी आश्रम में रुकना चाहते हैं तो उनकी स्वयं की मेस है .इसके अलावा रास्ते में हर जगह ढाबे ,रेस्टोरेंट मिल जाएंगे जहां पर मनचाहा भोजन उपलब्ध होता है.
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