Ibnbattuta
जीवन  चलने का नाम , इब्नबतूता Ibnbattuta पहन ले जूता

जीवन चलने का नाम इब्नबतूता Ibnbattutaपहन ले जूता Life is a journey And we All Travelers

जीवन में दो तरह के लोग हैं एक तो वे जो Ibnbattuta की तरह चले हैं

दूसरे वे जो ठहरे हुए है

जो चले हैं और जो ठहरे हैं दोनों ही नियत समय पर दुनिया से जाएंगे .लेकिन जो चले हैं वह अपने साथ अनुभवों की पोटली लेकर जाएंगे अफ्रीका के मोरक्को का Yatri Ibnbattuta उनमे से एक था  .घूमेंगे तो यहां- वहां से बटोरी खुशियों के साथ जियेंगे और खुशियों के साथ ही इस संसार से विदा हो जाएंगे .दोनों ही तरह के लोगों  का धन दौलत एश्वर्य सब यहीं छूट जाएगा .व्यक्ति जब अपने अंतिम समय में  होता है तब वह अपनी पुरानी यादों को समेटता रहता है. उसे अपने निकट संबंधी -परिजन याद आते हैं .वह सभी स्मृतियां घूमती है जहां वह गया और जिन लोगों के संपर्क में आया.

कई लोग पर्यटन Yatra पर जाने वाले लोगों पर तंज  करते हैं कि यूं ही पैसे बिगाड़ रहा है .जो लोग ऐसी बात करते हैं वह केवल अपनी तिजोरियां  भरते हैं और एक दिन छोड़कर चल देते हैं .उनके पीछे उनकी कृपणता की चर्चाओं के अलावा कुछ नहीं होता. भारतीय इतिहास को पढ़ते हैं तो प्राचीन भारतीय इतिहास में व्हेंसोंग और फाह्यान जो  चीन के यात्री थे उनकी भारत यात्रा के बारे में वर्णन मिलता है. भारतीय इतिहास के बारे में उन्होंने यहां जो घूम कर लिखा वह प्राचीन इतिहास की धरोहर है और प्राचीन इतिहास पर प्रकाश डालने का साधन है .

माना जाता है कि जो भ्रमणशील जातियां थी उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और जो एक ही जगह पर बैठे रहे वे अपना साम्राज्य खो बैठे .भारतीय संदर्भ में यह बात सटीक प्रतीत होती है. पहले मंगोल आए ,फिर मोहम्मद बिन कासिम आया,फिर मोहम्मद गजनवी  आया फिर मोहम्मद गोरी आया और ऐसा करते-करते यहां एक साम्राज्य स्थापित कर लिया जो कोई हजार साल के आसपास चला.भारत  1000 से 1947 परतंत्र रहा .

1313 में मोरक्को अफ्रीका से चलकर दिल्ली पंहुचा  

 मोरक्को अफ्रीका से चलकर दिल्ली तक पहुंचे Ibnbattuta  की कहानी  आज भी बड़े चाव से पढ़ी जाती है .पचहत्तर हजार पांच सौ मील की लंबी yatra ,संघर्षों के बीच उसने हार नहीं मानी और अंततः भारत पहुंच गया .उसने  रिहला  शीर्षक  से किताब  लिखी जिसमे तब के भारत का विषद विवरण है . Ibnbattuta जब दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुगलक के पास पंहुचा तो तुगलग ने उसे काजी नियुक्त किया .वह सात साल दिल्ली में रहा.

व्यक्ति के मन में Ibnbattuta

 हर व्यक्ति के मन में Ibnbattuta बैठा हुआ है जो उसे चैन से नहीं बैठने देता. तत्कालीन भारत का चित्रण Ibnbattuta ने बड़े ही उम्दा ढंग से प्रस्तुत किया है .बाद में गुलजार ने एक गीत में उसका जिक्र कर उसे  श्रद्धांजलि दी है Ibnbattuta पहन के जूता. कल्पना करिए कभी पैदल ,कभी घोड़े पर और कभी नाव में सवार होकर पहुंचे Ibnbattuta अफ्रीकी यात्री ने भूमि की सीमाओं और बाधाओं को तोड़कर Tourist के रूप में अपने झंडे 14 वी  शताब्दी में गाढे थे.

आधुनिक भारत में पर्यटन साहित्य 

 भारत में पर्यटन को लेकर लेखन व साहित्य का निर्माण करने वालों में प्रमुख रूप से राहुल सांकृत्यान का नाम लिया जाता है .उनके लिखे हुए यात्रा Volga se Ganga  जैसे संस्मरण आज भी बड़े रुचि के साथ पढ़े जाते हैं .बाद में आगे अज्ञेय और कई अनेक लेखकों ने संस्मरण विधा को आगे बढ़ाया. Yatra से क्या मिलता है क्या यह फिजूलखर्ची है .यह  कई वर्षों से लोगों के बीच परिचर्चा का विषय बना हुआ है . देश-विदेश की Yatra करना व्यक्ति के व्यवसाय को एक अलग दृष्टि प्रदान करता है. साथ ही उसके व्यक्तित्व विकास व व्यक्तित्व  निर्माण में भी इसकी भूमिका होती है. व्यक्ति कूप मंडूक होकर जीवन बीता भी दे तो उसका कोई लाभ नहीं. अनुभवों के मोती तो Yatra करके ही एकत्रित किए जा सकते हैं.

 

 

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