Toy Trains
Toy Trains

जानिए कितनी Toy Trains चलती है भारत में ,अंग्रेजों ने पहले Hill स्टेशन खोजे फिर Toy Trains चलाई 

Toy Trains आज भी भारत की धरोहर है , कुल 05  खिलोना रेल चलती है पहाड़ में

अंग्रेजों ने भारत पर  1757  के प्लासी युद्ध में हुई विजय के बाद से लेकर 1947 तक राज किया कभी ईस्ट इंडिया कंपनी के झंडे तले तो कभी इंग्लैंड की महारानी की अधीन भारत का शासन यहां के गवर्नर जनरलों और वायसराय ने  चलाया.अंग्रेज ठंडे प्रदेश से आते थे .

भारत की गर्मी ,धूल आंधियां उन्हें बहुत परेशान करती थी .खासकर गर्मी के दिनों में तो अत्यधिक पीड़ित हो जाते थे.

इसी कारण उन्होंने भारत के पहाड़ी क्षेत्र के ठंडे स्थानों  को खोजा और उनका विकास किया . इनमें उत्तर भारत में  मसूरी, लैंसडाउन, शिमला ,धर्मशाला ,मैकलोडगंज, डलहौजी , नैनीताल , पश्चिम में  माउंट आबू , पचमढ़ी,  पूर्व में सिक्किम ,दार्जिलिंग तथा दक्षिण भारत में माथेरान ,पंचगनी ,ऊटी ,कोडाईकनाल जैसे कई हिल स्टेशन है . जहां पर जाकर अंग्रेज अपनी गर्मी की छुट्टियां बताया करते थे .

शिमला तो एक तरह से गर्मी में भारत की राजधानी ही बन गया था.अंग्रेज पूरी  सुख सुविधाओं के साथ रहा करते थे .इसलिए पहाड़ी क्षेत्र में रसद पहुंचाने, आने जाने के लिए उन्होंने सड़के तो बनवाई ही ,कई स्थानों पर छोटी खिलोना ट्रेन  चलाई जो नेरोगेज से भी छोटी थी .

इनको बनाने में तब कितना श्रम व धन लगा होगा इसकी कल्पना आज नहीं कर सकते. देश में चलने वाली खिलौना ट्रेन

INDIA में चलने वाली प्रमुख Toy Trains

Kalka to Shimla

हिमाचल की यह Toy train इस लाइन पर  कुशलतापूर्वक चलती हैं। इन ट्रेनों से बड़ी संख्या में यात्री ऊपर तक पहुंचते हैं। यह यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं है बल्कि प्रकृति से सीधा साक्षात्कार कराती है। छोटे-छोटे ऊँचे पुल, सुरंगें और साँपों की तरह चलती छोटी-छोटी पटरियाँ।

आज भी यह बात लोगों को हैरान कर देती है कि उस समय इन पहाड़ों पर रेलवे लाइन कैसे और कितनी मुश्किल से बिछाई गई होगी, जब न तो इतनी भारी मशीनें थीं और न ही नई इंजीनियरिंग तकनीक।

Pathankot to Joginder Nagar

पंजाब के पठानकोट से हिमाचल के जोगिन्दर नगर तक चलने वाली यह Toy train सर्पीले पहाड़ी रास्तों से गुजरती है .

Neral to Matheran

मुंबई, महाराष्ट्र के पास नेरल से माथेरान तक चलती है .

Metapalayam to Ooty

तमिलनाडु की नीलगिरि Toy Trains जो  मेटापलायम से ऊटी तक  जाती है .नीलगिरि माउंटेन ट्रेन की गति सबसे कम है .नीलगिरि Toy train पर Shahrukh Khan का  फ़िल्मी गाना छैया छैया फिल्माया गया है. यह Toy train घने जंगल झरने  और पहाड़ों ,  गुफाओं के  समीप से गुजर कर ऊपर तक जाती है.

 New jalpaiguri to Darjiling

बंगाल  की यह  Toy Trains  यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल है। यह Toy train राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर  के  फ़िल्मी गाने  मेरे सपनों की रानी कब आएगी में दिखाई देती  है.. दुनिया का सबसे ऊंचा स्टेशन घूम इसी लाइन पर बना है.जो भी व्यक्ति पर्यटन पर जाता है वह भारत की इन विरासत वाली Toy train  में जरूर यात्रा करता है.

Toy Trains  के लिए खड़ी ढलान पर चढ़ना आसान नहीं है . नीलगिरि Toy train की गति सबसे कम है.  शिमला और कालका के बीच Toy trains  सबसे तेज़ गति से चलती है। इन ट्रेनों में डीजल इंजन लगाए गए हैं.  दार्जिलिंग हेरिटेज Toy trains  में आज भी भाप का इंजन चलता है जो अपने आप में एक सुखद अनुभव देता है।

 Toy Trains की  समय सारणी बदलती रहती है

यात्रा पर जाने से पहले एक बार पुष्टि कर लेना जरूरी है. कई बार निर्माण या अन्य कार्यों के कारण ट्रेन रद्द हो जाती है, जैसे वर्तमान में शिमला धर्मशाला फोर लेन हाईवे के निर्माण के कारण कांगड़ा टॉय ट्रेन रद्द है। सभी पांच Toy train  में से केवल कालका शिमला रूट के लिए टिकट आईआरसीटीसी से ऑनलाइन बुक किए जा सकते हैं और बाकी Toy Trainsके लिए स्टेशन से ही टिकिट बुक होंगे .

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