ट्राईबल बेल्ट MP का प्रमुख  भोजन Dal paniya खाना हो तो  झाबुआ अलीराजपुर का रुख करना होगा
Dal paniya

ट्राईबल बेल्ट MP का प्रमुख  भोजन Dal paniya खाना हो तो झाबुआ अलीराजपुर का रुख करना होगा

आज हम बात कर रहे हैं Dal paniya नामक ट्राइबल डिश की

यह डिश मध्यप्रदेश के पश्चिम में गुजरात से सटे हुए झाबुआ और अलीराजपुर जिलों में मिलती है. MP विविधताओं का प्रदेश है.इसके हर कोने में अलग संस्कृति और खान-पान मिलता है.

यहां की पारंपरिक डिश Dal paniya का स्वाद लेने के लिए किसी बड़े रेस्टोरेंट में जाने की आवश्यकता नहीं है.झाबुआ-अहमदाबाद हाईवे और अलीराजपुर से छोटा उदयपुर -बड़ोदरा  हाईवे पर बने हुए किसी छोटे से ढाबे में यह पारंपरिक भोजन आपको आसानी से उपलब्ध  होगा .

कैसे बनते है Dal paniya ,क्या इंग्रेडिएंट्स है

Dal paniya  आदिवासी इलाकों में खाई जाने वाली डिश है . इसका निर्माण सफेद मक्का के आटे से जो कि यहां बहुतायत  से होती है तथा उड़द की दाल से  होता है. आजकल उड़द के स्थान पर अरहर की  पीली दाल का उपयोग भी किया जाता है.

Dal paniya की ऑथेंटिक डिश में उड़द दाल का ही उपयोग होता है. इस भोजन के दो घटक होते हैं एक पानिया और दूसरी दाल. दाल तो उड़द की हो गई लेकिन पानीये में सफेद मक्का के आटे का उपयोग किया जाता है और  इसको पलाश अथवा आंकड़े के पत्तों में रख कर  सेका( Roast )  किया जाता है , इसका आकार  पत्ते के समान होता है  इसलिए  इसका नाम पानिया रख दिया गया होगा.

 Dal paniya बनाने का तरीका

Paniya बनाने का तरीका आसान है. मक्के के आटे को लिया जाता है इसमें कुछ मात्रा में दही, एक-दो चम्मच घी डालते हैं. स्वाद अनुसार नमक और चुटकी भर अजवाइन डाल करके आटा गुँथा जाता है जिससे कि यह खस्ता हो सके.मक्का का आटा पानी में बहुत जल्दी घुल जाता है इसलिए कम कम मात्रा में पानी लेकर इसका लोट बनाया जाता है.

यह  लोट कुछ ढीला होता है. अब तैयार किए गए लोट को  पत्ते के आकार में हाथ से उलट पलट कर पानिया तैयार किया जाता है.  पानिया बीच से मोटा और किनारो से पतला होता है. एक पानीये का वजन लगभग  डेढ़ सौ से 200 ग्राम होता है.इसको पत्ते पर रखकर ऊपर से  एक और पत्ता चिपका  दिया जाता है..इस तरह तैयार किए हुए पानियों को  उपले  की आग में धीमे-धीमे  रोस्ट किया जाता है.

जैसे-जैसे सिकाई होती है पत्ता जलकर अलग हो जाता है और पानिया अलग हो जाता है. इसको कुरकुरे होने तक  सेका जाता है.पानीये सेकने के बाद  झाड कर इनसे राख अलग की जाती है. कपडे  से पोंछ कर इन्हे तर घी में डुबोकर रख दिया जाता है.  जो लोग कम  घी खाते है वे केवल ऊपर से घी  लगाकर  रख सकते हैं.

उड़द की Dal तैयार करना

दाल तैयार करने के लिए छिलके वाली  उड़द दाल को कुछ समय पानी में  भीगा  के रखा जाता है. बाद में इसको पतीले में उबालने के लिए रख दिया जाता है.कुकर में भी इसको उबाल सकते हैं. दाल उड़द की होती है इसलिए पकने में थोड़ा समय लेती है.

पककर तैयार हुई दाल में लहसुन,लाल मिर्च अदरक आदि के पेस्ट व प्याज़ हरि मिर्च  से तड़का लगाया जाता है . स्वाद अनुसार नमक और उपर से कटा धनिया डाल कर इसको तैयार कर लिया जाता है. गरमा गरम पानीया और  दाल  को  कटे हुए प्याज , चटनी, नीबू आदि के साथ खाया जाता है. पानिया  में मक्का मीठी होती है इसलिए अत्यधिक स्वादिष्ट लगती है .

मांसाहार के शौकीन लोग चिकन करी के साथ इसका सेवन करते हैं.आदिवासी इलाके में चिकन करी बनाने का देसी तरीका है. इस एरिया में अधिकांश मांसाहारी होते हैं तो यह भी बहुतायत से बनती है. लेकिन असली आनंद तो पानिये का दाल के साथ ही है.

Dal paniya की भूमि झाबुआ,अलीराजपुर कैसे जाये

पूर्व मे झाबुआ अलीराजपुर  एक ही जिला था. अब दो जिलों में बट गया है. झाबुआ इंदौर अहमदाबाद हाई वे पर और अलीराजपुर ,बड़वानी – छोटा उदयपुर बड़ोदा मार्ग पर है. निकतम हवाई अड्डा इंदौर है. झाबुआ जाने के लिए मेघनगर रेलवे स्टेशन  पर उतरना होता है.

क्या देखें,कब जाएँ, कंहाँ ठहरे

आदिवासी अंचल मे होली के एक पखवाड़े  पूर्व से लगने वाले ग्रामीण हाट मे भगोरिया भरता है. होली के मादक वातावरण मे आदिवासी संस्कृति मे जीवन साथी चुनने का रिवाज़ था. इन हाट मे आदिवासी संस्कृति की इंद्राधनुष छटा देखने को मिलती है. इसी दौरान Dal paniya दाल पानिये बनवाकर इनका लुत्फ़ लिया जा सकता है.

इसके आलावा  साल में कभी भी वडोदरा व अहमदाबाद हाई वे से गुजरने के दौरान भी किसी ढाबे पर रूक कर स्पेशल आर्डर से Dal paniya बनवाये  जा सकते है. झाबुआ अलीराजपुर में ठहरने के लिए कई होटल्स है. रतलाम, इंदौर, दाहोद आदि स्थानों से एक दिवसिय  यात्रा की जा सकती है.

Article written by @ harishankar Sharma

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