Dalhousie
Dalhousie Mall Road and Dholadhar Peak

ब्रिटिश और स्कॉटिश स्थापत्य देखना हो तो हिमाचल के Dalhousie की यात्रा करें

Dalhousie कहाँ है ?  कितना  सुन्दर है  ,1970 मीटर की  ऊंचाई पर किसने बसाया 

Dalhousie 1854 में   अंग्रेजों  द्वारा बसाया गया  हिमाचल का हिल स्टेशन है .यहाँ अभी भी अंगरेजी राज की स्मृतियाँ ही नहीं लार्ड Dalhousie के नाम की अनुगूँज सुनी जा सकती है .चीड ,देवदार ,ओक, Rododedron की सुन्दरता निहार सकते है . Ravi नदी घुमावदार रास्तो के संग बहकर अनुपम दृश्य प्रगट करती है .जंगल ,पहाड़ और झरनों का अद्भुत संगम है . ठण्ड में  बर्फ़बारी देखी जा सकती है .

Dalhousie  में क्या देखें

पंचकुला झरना ,माल रोड ,कलातोप वन अभ्यारण ,Denkund Peak, चमेरा लेक ,सतधरा झरना , लगे हुए हिल स्टेशन चंबा , खजियार  पड़ते है .

लार्ड Dalhousie कौन था 

1848-1853  तक ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में गवर्नर जरनल रहा .भारत में रेल , मुंबई से ठाणे 1853 व डाकतार का जनक .हडप नीति लागू की जिसके कारण 1857 का  स्वतंत्रता संग्राम हुआ .

Dalhousie कैसे जाएँ

सड़क मार्ग से दिल्ली से 555 km , Pathankot  से 85 km पहाड़ी मार्ग है . पठानकोट निकटतम रेलवे स्टेशन , अमृतसर 325 km  निकटतम  एअरपोर्ट है . चंडीगड़ एअरपोर्ट से भी  जा सकते है .

Dalhousie कब जाये

March to may is best  जुलाई अगस्त व ठण्ड  में भी  जा सकते है पर मौसम का कोई  भरोसा नहीं .फरवरी से  अप्रैल अंत  को प्राथमिकता दे .

Dalhousie कहाँ  रुके

बस स्टैंड के आसपास  हर बजट की होटल्स  उपलब्ध है . बेहतर होगा Airbnb, Make Mytrip and other online platform से प्री बुकिंग करवा कर जाये .

Dalhousie क्या  खाए 

ढाबों, रेस्टोरेंट , होटल में हर तरह का खाना मिलता है . साधारण होटल में ऑफ सीजन में दो लोगो का रहना खाना @2000rs  में हो जाता है .

Dalhousie यात्रा की  स्मृतियाँ

जुलाई का महीना था,अंतिम सप्ताह चल रहा था बारिश रुक-रुक कर हो रही थी . ऐसे उमस भरे माहौल में हम कुछ मित्रों ने परिवार सहित किसी हिल स्टेशन पर जाने का सोचा. सोच-विचार कर निर्णय किया कि हिमाचल प्रदेश के Dalhousie जाया जाए. दिल्ली से फ्लाइट से अमृतसर और वहाँ से टैक्सी करके पठानकोट के रास्ते की पहाड़ी चढ़ने लगे. अमृतसर से सुबह कोई 10:00 बजे हमने Dalhousie की यात्रा शुरू की.

पठानकोट  से Dalhousie का मार्ग सर्पिल है और कई घाटों को पार करके ऊपर चढ़ना होता है. जितने  हार्ड पहाड़ों को क्रॉस करना होता है उतने पहाड़ ना तो शिमला और ना ही धर्मशाला या मैकलोडगंज में क्रॉस करना होते हैं.हिमाचल के सभी पर्यटन स्थलों में यह काफी ऊंचाई पर है और यहां का रास्ता इतना आसान नहीं  है.

कई बार तो घुमावदार रास्तों के कारण यात्रियों को चक्कर आने लगते हैं.हम लोग बीच में रुक -रुक आगे  बढ़ रहे थे. रास्ते के डाबों पर चाय – नाश्ता करते,  खाना खाते धीरे-धीरे ऊपर बढ़ने लगे. लगभग शाम के 6:00 बजे Dalhousie के बस स्टैंड पर टैक्सी ने हमको छोड़ा.

जुलाई में थे इसलिए यह तो कह नहीं सकते की बारिश नहीं आएगी लेकिन उस दिन मौसम खुला हुआ था. हमने आसपास ही दो-तीन होटल का परीक्षण कऱ एक होटल का चयन किया जो काफी सस्ते में हमें वहां मिल गया. शायद सीजन में आते हैं तो यही होटल हमें ₹3000 से कम नहीं मिलता लेकिन ऑफ सीजन था इसलिए ₹1000 में होटल वाले ने ठहरा दिया.

होटल में फ्रेश  होकर बाहर निकले. Dalhousie  में बाहर रिमझिम बारिश हो रही थी.अन्य  हिल स्टेशनों की तरह यहां Dalhousie में भी एक माल रोड है ,मार्केट है हमने पूछा तो वहां के व्यवसाई  ने बताया  कि अभी तो  मार्केट अच्छा चल नहीं रहा है, बारिश का सीजन है. हमने बस स्टैंड पर एक  रेस्तरा में खाना खाया और पैदल घूमने निकल गए .माल रोड पर.

बारिश में माल रोड रोशनी से नहाया हुआ था एक तरफ बरसात हो रही थी दूसरी तरफ रोशनी की बरसात थी . हाथ में छतरी थामे आधे- आधे भीग  रहे  थे . मौसम  सुहाना था . अगले एक घंटे  हम फुहारों के बीचDalhousie के माल रोड पर चलते ही जा रहे थे. कुछ दूरी पर जाकर एक टी स्टॉल दिखा रुककर गर्मागर्म  काफी पी . खुली हुई  कुछ  दुकानों में मोल भाव किये .वापस अपने होटल पर लौट आये.

रिमझिम गिरे सावन  वाली  सावन की रात  अमिट स्मृतियाँ छोड़ गई .Dalhousie में माल रोड का आनंद लेने के बाद हम लोगों ने अगले दो दिनों तक पंचकूला झरना ,वन्य जीव अभ्यारण , चमेरा झील और सतधरा झरना आदि एक्स्प्लोर किया .जुलाई का महीना होने के बाद भी हमें अगले दो दिन तक आसमान साफ मिला.

लेकिन तीसरे दिन जिस तरह की जमकर बारिश हुई उससे लगा कि अब हमें आगे की यात्रा स्थगित कर देना चाहिए .हमारा इरादा Dalhousie  से निकल कर पठानकोट होकर जम्मू- कटरा जाने का था लेकिन हमने अगले दो दिन वही पहाड़ों में डलहौजी के माल रोड और बारिश का आनंद लिया . स्थानीय खाने के आनंद के साथ-साथ Dalhousie में बिखरी पड़ी अंग्रेजों की यादें प्रतिक चिन्हों को देखते रहे .@Article written by : Harishankar Sharma

यह भी देखें ;

http://हिमालय की कुमाऊँ पहाडि़यों की तलहटी में स्थित Nainital मन मोह लेगा

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