Dharmshala में है हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रृंखला की बर्फ से आच्छादित चोटिया
Dharmshala को मनमोहन बनाते हैं. Dharmshala के जुड़वा शहर मैक्लोडगंज में तिब्बती संस्कृति के दर्शन किए जा सकते हैं. शांत और ठंडा वातावरण यहां पर आपका मन मोह लेगा . मॉल रोड पर रात में घूमने और बारिश में भीगने का आनंद लेने के लिए एक बार मानसून में यहां अवश्य जाना चाहिए.
How to go
पठानकोट और अम्बअंडोरा के लिए न्यू दिल्ली से सीधी ट्रैन है .यहॉं से टैक्सी बस द्वारा पंहुचा जा सकता है . हवाईअड्डा धर्मशाला में है.
Where to stay
बहुत सारी होटल्स है, होमस्टे भी उपलब्ध हो जाते है.
When to go
मार्च से नवम्बर तक कभी भी
What to eat
हर तरह का खाना उपलब्ध हो जाता है.
Dharmshala yatra संस्मरण
Dharmshala और मेकलोड गंज हिमाचल के जुड़वा पहाड़ी शहर है. Dharmshala में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के लिए बहुत ही आधुनिक स्टेडियम बना हुआ है. हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशनों में Dharmshala ,मैकलोडगंज और डलहौजी एक तरफ हैं दूसरी तरफ शिमला कुल्लू मनाली आते हैं।
शिमला कुल्लू मनाली जाने के लिए चंडीगढ़ से होकर रास्ता जाता है .जबकि Dharmshala मैकलोडगंज के लिए चंडीगढ़ से कोई 200 किलोमीटर आगे अम्बंअडोरा से ऊपर पहाड़ चढ़कर यहां तक पहुंचा जा सकता है. दूसरा रास्ता पठानकोट होकर भी है.
पठानकोट से कांगड़ा और कांगड़ा से Dharmshala जाया जा सकता है। हम अम्ब के रास्ते से गए थे यह रास्ता हमें कुछ ज्यादा आसान लगा पठानकोट से आने वाला रास्ता थोड़ा लंबा है। रास्ते में शर्मा ढाबा आता है ,हमने खाना खाया ,यहाँ कभी एम एस धोनी की टीम ने लंच किया था .
कांगड़ा से जब गुजर रहे थे तो बीच में पठानकोट से पालमपुर व जोगिंदर नगर तक चलने वाली खिलौना ट्रेन भी हमें मार्ग में दिखाई पड़ी। कभी खिलौना ट्रेन में सफर करने का रोमांच हुआ करता था लेकिन आजकल सब जल्दबाजी में टूर पर निकलते हैं इसलिए इन खिलाना ट्रेनों में स्थानीय लोगों के अलावा शायद ही कोई टूरिस्ट यात्रा करते हो।
धीरे-धीरे रात हो रही थी हम Dharmshala के माल रोड पर पहुंच गए थे .माल रोड पर दुकाने खुली थी लोगों की शॉपिंग चल रही थी .
हमने पूरे मॉल रोड का भ्रमण किया और हिमाचल प्रदेश के खादी ग्रामोद्योग एंपोरियम में चले गए। मित्रों ने यहां से शॉल, गर्म कपड़े जैकेट व साड़ी खरीदी।
Dharmshala से एक जैकेट खरीदी. 2012 में मनाली से खरीदे हुए जैकेट की याद आ गई .हिमाचल प्रदेश के खादी ग्रामोद्योग एंपोरियम में मिलने वाली सामग्री सभी पहाड़ों पर मिलने वाले गर्म कपड़ों में सबसे श्रेष्ठ होते हैं .
मात्र ₹800 में जैकेट मिल गई जो 2012 में ₹600 मिली थी . इस तरह की जैकेट सालो चलती है .हिमाचल और उत्तराखंड जाने वाले टूरिस्ट से मेरा आग्रह है कि वे हिमाचल के खादी ग्राम उद्योग एंपोरियम से ही गर्म कपडे खरीदें .
रात लगभग 8:00 बजे के आसपास हम Dharmshala से मैकलोडगंज की ओर चल पड़े . खड़ी पहाड़ी चढ़ाई थी . लेकिन मात्र आधे घंटे की चढ़ाई में हम मेकलाडगंज पहुंच गए. यह वह जगह है जहां पर निर्वासित हो दलाई लामा तिब्बत की सरकार चलाते है .
दलाई लामा काआवास व मन्दिर मठ भी यहीं पर है। पहाड़ों में मार्केट जल्दी बंद हो जाते हैं लेकिन जब हम पहुंचे तो मार्केट खुला हुआ था .अच्छी होटल भी देख कर एक होटल कर लिया। रात में खाना खाकर सो गए .सुबह जब उठे तो होटल के जिस कमरे में ठहरे थे उसके आसपास चारों तरफ कांच की खिड़कियां थी और सामने व्यू प्वाइंट दिख रहा था।
बर्फ से घिरी धोलाधर पहाड़ की चोटियों को देखकर मन प्रफुल्लित हो उठा.यहां के कर्मचारियों ने बताया कि जाड़ों में मैकलोडगंज में आए दिन बर्फबारी होती रहती है.
सुबह नाश्ता वगैरह करके हम दलाई लामा के मंदिर में गए. वहां लामाओं से बातचीत कर मंदिर के बारे में जानकारी प्राप्त की.Dharmshalaसे हमारी वापसी यात्रा शुरू हो गई थी. पहाड़ उतर कर दोपहर में करीब 12 बजे तक हम अब अम्ब अंडोरा आ गए .
1 बजे हमारी ट्रेन थी जो सही समय पर खुल गई। एक बार फिर वापसी यात्रा में वंदे भारत ट्रेन के सफर का आनंद लिया .रात का डिनर भी हमने वंदे भारत में किया और 10 बजे इंदौर नई दिल्ली इंदौर से वापस उज्जैन पंहुचे ।
इस तरह खत्म हुआ एक और सुहाना सफर .समय मिले तो आप भी जाइए एक बार Dharmshala और मैकलोडगंज.पहाड़ों में जाना भी अपने आप में एक सुकून भरा अनुभव होता है। Article written by Harishankar Sharma
pl see this link ;http://स्वर्ग में हूँ Tamia mp एक संस्मरण
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