Gangtok शहर नार्थ ईस्ट के राज्य सिक्किम की राजधानी है .कंचनजंघा पर्वत श्रृंखला की खूबसूरती यहाँ देखते ही बनती है
यहाँ पर कंचनजंघा नेशनल पार्क , महाकाली मन्दिर दर्शनीय है . यहाँ की नेचरल ब्यूटी ,ताशी व्यू पॉइंट और नजदीक में छंगु लेक अद्भुत है . बारह हजार फीट की ऊंचाई पर जेलेपला दर्रे व नाथुला दर्रे के बीच दिवंगत सैनिक बाबा हरभजन सिंह के मन्दिर पर लंगर प्रसादी ग्रहण करना अद्वितीय अनुभव देता है .
Gangtok कैसे जाएँ
बागडोगरा delhi से हवाई मार्ग से जुडा है . ट्रेन से delhi , मुंबई , इन्दोर , उज्जैन भोपाल से NJP तक जा कर टैक्सी ले सकते है .
Gangtok कब जाये
अक्टूबर से जून के बीच
मित्रो संग Gangtok का यादगार सफ़र ;
छह मित्रों के साथ नागदा से दिल्ली तक की यात्रा ट्रेन से और वहां से Bagdogra तक फ्लाइट पकड़कर गए . हवाई यात्रा का रोमांच महसूस करने के लिए हम में सभी लोग विंडो सीट चाहते थे . बुकिंग काउंटर पर रिक्वेस्ट की तो ऑपरेटर ने 4 विंडो सीट दे दी .
हवाई यात्रा में आपस में एक दूसरे पर नजर रखे हुए थे . कौन कहां गलती करे उसको धर लिया जाए . सभी सतर्क थे दिल्ली से बागडोगरा की 2 घंटे की फ्लाइट थी .कहीं किसी से गलती ना हो इसलिए बगल के यात्री को देख देखकर हमने अपना काम चलाया और हंसी मजाक के साथ बागडोगरा उतर गए .जो यात्रा ट्रेन से 40 घंटे में होती है वह 2 घंटे में कर ली ।
बागडोगरा से टैक्सी करके पहले हम Gangtok के लिए रवाना हुए । Gangtok के पहाड़ी रास्ते में पूरे समय सड़क के साथ साथ तीस्ता नदी बहती रहती है । जैसे जैसे ऊपर चढ़ते हैं नदी नीचे और पहाड़ ऊपर और ऊपर .नदी गहरी खाई में बहती पतली रेखा सी नजर आती है .
हम लोग लगभग शाम तीन बजे बागडोगरा से निकले थे और रात होते होते Gangtok पहुंच गए मार्ग में एक बियर फैक्ट्री नजर आईं। ड्राइवर से पूछा तो उसने बताया कि की यह फैक्ट्री film star डेनी की है ।
Gangtok में हम जिस होटल में रुके थे वहां के मैनेजर ने बताया कि सुबह 6:00 बजे जल्दी उठकर होटल की छत पर चले जाइए वहां से आपको कंचनजंगा kanchanjunga के दर्शन होंगे ।ठीक यही किया सुबह बर्फ से ढकी कंचनजंघा चोटी को उगते सूर्य के प्रकाश में निहारा, मन प्रफुल्लित हो गया .
पहले दिन सुबह टैक्सी की और सिक्किम में साइट सीइंग के लिए निकल पड़े .यहां की पहाड़ियां उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र से कुछ अलग है ।
एकदम तीखी चढ़ाई होती है और सड़क के नीचे सैकड़ों फुट गहरी खाई जिसमें कहीं तीस्ता तो कहीं उसकी सहायक नदियां बहते नजर आती है । मेरा मानना है कि यह पहाड़िया उत्तराखंड बद्रीनाथ केदारनाथ से कहीं ज्यादा खतरनाक है। किंतु मेरे मित्र का कहना था कि नहीं खतरा ज्यादा बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने में महसूस होता है .
यह विषय डिबेट का हो सकता है की कौन सी पहाड़ी कितनी खतरनाक है किंतु ऊंचाई की दृष्टि से देखें तो उत्तराखंड से अधिक ऊंचे पहाड़ इधर ही नजर आते हैं । हम लोगों ने यहा के बोद्ध धर्मस्थल को देखा
क्षेत्र में तिब्बत की संस्कृति का विशेष प्रभाव है । धर्मशाला जाएं या फिर दार्जिलिंग सिक्किम सभी क्षेत्रोंमें बोद्ध धर्म और तिब्बती संस्कृति के दर्शन सहज होते हैं ।हम लोग क्षेत्र में चलने वाली मारुति वैन में सवार निकल पड़े और ऊंचाइयों की ओर बढ़े ।.
रास्ते मे Chhangu lake पड़ी यहां पर याक Yalk की सवारी की और आगे बढ़कर चाइना बॉर्डर China border तक गए .
चाइना बॉर्डर पर स्थित एक सैनिक बाबा हरभजन सिंह के स्मारक या कहे मंदिर में जाकर लंगर का भोजन किया . बताते हैं कि यँहा दिवंगत बहादुर सैनिक का सम्मान और रैंक आज भी जीवित हैं ।इनकी बहादुरी के किस्से सेना का मनोबल बढ़ाते हैं और लोग बड़ी आस्था से इनका पूजन करते है .
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