Goa समुद्र तट का पर्यटन सदैव आकर्षित करता रहा है
भारत के पश्चिमी तट के समुद्र के किनारे हो या फिर दक्षिणी तट के ।सब अपनी अपनी विशेषताओं के साथ आप से रूबरू होते हैं । मुंबई से नीचे की तरफ बढ़ते हैं तो धीरे-धीरे समुद्र का पानी नीला और साफ नजर आने लगता है । मुंबई के समुद्र तट पहले कभी ऐसे रहे होंगे लेकिन आज आबादी के दबाव के चलते वे जैसे भी है, इसकी जिम्मेदारी से हम बच नही सकते .
Goa History
कोंकण तट पर बसा हुआ Goa दिसंबर 1961 में भारत में शामिल होने के पहले पुर्तगाली उपनिवेश हुआ करता था ।यहां की संस्कृति में कैथोलिक पुर्तगाली परंपराएं आज भी रची बसी है । यहां के कैथोलिक गिरजाघर और वास्तु कला पुर्तगाल की याद दिलाते है ।
यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहां के पुराने कैथोलिक क्रिश्चियन भारतीय मूल के कई नागरिकों को दोहरी नागरिकता मिली हुई है ।वह हिंदुस्तान के नागरिक होने के साथ-साथ पुर्तगाल के नागरिक भी है । वहां जाकर रह सकते हैं अपना व्यापार कर सकते हैं, नौकरी कर सकते हैं।
Goa एक छोटा सा राज्य है यहां पर छोटे-बड़े 40 समुद्री बीच है ।इनमें से कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए जाने जाते है । अंजुना , पालोलम बीच अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के मनपसंद स्थान है । 17 वीं शताब्दी में अगोडा फोर्ट समुद्री हमले से बचाव के लिए पुर्तगाली शासकों द्वारा बनवाया गया था .
Goa कैसे जाये , कहाँ ठहरे , कब जाये
Goa का मडगांव स्टेशन मुंबई से कोंकण रेल तथा पूना से सीधे जुड़ा है .गोवा में दो एअरपोर्ट है .ठहरने के लिए बहुत सरे आप्शन है . ऑनलाइन बुकिंग भी उपलब्ध है . Goa में हर तरह का खाना मिल जाता है . सितम्बर से फरवरी के बीच अच्छा मौसम रहता है .
Goa tour : संस्मरण
गोवा जाने का कार्यक्रम ऐसे ही बैठे-बिठाए बन गया। ऑफिस के तीन साथी के साथ कई दिनों से चल रही चर्चा का अंत, हवाई टिकट बुकिंग के साथ हुआ। इंदौर से सीधी फ्लाइट लेकर गोवा के डबोलिम पहुंचे । साउथ गोआ के कोलवा बीच पंहुच कर बहुत अच्छे रिसोर्ट में जाकर रुक गए।
अगले दिन आने वाले तीन दिनों के हिसाब से हमने टैक्सी का बंदोबस्त कर लिया ।नार्थ, साउथ गोवा, वास्को और अन्य टूरिस्ट स्पॉट को देखने के लिए निकोलस के साथ गोवन संगीत सुनते हुए निकल पड़े ।
सबसे पहले हमने पंजिम और आसपास के क्षेत्र देखने की बात कही। दिनभर स्पॉट्स देखते हुए डोना पाउला बीच होते हुए हम शाम को मांडवी नदी के तट पर पहुंच गए । यंहा मांडवी नदी में उतरती रात और झिलमिलाते क्रूज हमारा इंतजार कर रहे थे ।
क्रूज की सवारी निश्चित रूप से यहां की रंगीनियों को देखने जरिया होता है । सभी को लेकर क्रूज हौले-हौले चल पड़ा, नदी से समंदर की ओर । एक घण्टे की राइड में कोंकणी म्यूजिक ,बीच-बीच में वेस्टर्न बीट्स और डांस। हर किसी को मचलने पर मजबूर कर रहा था ।
बैंड व डांस पार्टी के साथ साथ स्टेज पर और लोग भी उठ-उठ कर नृत्य में अपनी भागीदारी कर रहै थे । सौंदर्य और फेंनी की मादकता के साथ गोवा के मसालेदार व्यजंनों का पर्यटक भरपूर लुत्फ ले रहे थे ।
हमने 17 वीं शताब्दी में बने अगोडा फोर्टे जाकर समुद्री हमले से बचाव के लिए पुर्तगाली शासकों द्वारा किस तरह की रणनीति अपनाई जाती थी इसके बारे में जानकारी जुटाई ।
अगले दिन ओल्ड गोवा में फ्रांसिस जेवियर के अवशेषों को देखा और शांति के कुछ पल बिताए। कंडोलिम बीच देखने के बाद हम कलंगुट बीच पँहुचे । ये बीच हर किसी के मन को भाता है। इसकी लंबाई और समुद्र तट का साफ-सुथरा पानी अठखेलियों के लिए आमंत्रित करता है।
समुद्र की लहरें मचल-मचल कर किनारों से टकराती है। बीच पर स्थानीय लोगों द्वारा संचालित की जाने वाली खाने पीने की दुकानें भी है। Goa की मिली-जुली संस्कृति एक अलग तरह की उन्मुक्तता प्रदान करती है । गोआ हवाई मार्ग और रेलमार्ग से सम्पूर्ण भारत से जुड़ा है। यंहा हर मौसम में जाया जा सकता है ।समुद्र तट के सौंदर्य में घुली मादकता बार-बार “Come again Goa ” कहती प्रतीत होती है।
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