Kainchi dham : स्टीव जॉब जब 1974 में कैंची धाम पंहुचे एक कमरे में चटाई बिछाकर कर रहे
एप्पल के मालिक स्टीव जॉब भारत आए और 1974 में Kainchi dhamपहुंचे तो वे सफल व्यवसायी नही थे. Neem kroli baba से उनकी मुलाकात नही हुई क्योंकि बाबा 1973 में देह त्याग चुके थे .
वे यहां एक कमरे में चटाई बिछाकर कर रहे .शाकाहारी भोजन किया व एक गांव से दूसरे गांव का पैदल सफर किया एकदम शांत मन से यहां रह कर उन्होंने एक यूरोपीय यात्री द्वारा छोड़ी गई ऑटोबायोग्राफी ऑफ योगी नामक पुस्तक को बार-बार पढ़ा और अंतरज्ञान प्राप्त किया।
स्टीव जॉब्स का का कहना था कि नीम करोली बाबा का संदेश साफ था दूसरो की सेवा करो .स्टीव जॉब के सुझाव पर मार्क 2008 में Kainchi dhamआए यहां रहकर उन्होंने लोगों के आपस में इंटरेक्शन को देखा .
भारतीयों के एक दूसरे के संपर्क और अपने आध्यात्मिक अनुभवों का फेसबुक के निर्माण में उपयोग किया। नीम करोली बाबा Kainchi dham के विदेशी भक्तों में Jullia Robbert ,Larry page Ceo of Google , Jeff Skoll Of Ebay आदि शामिल है .
कैची धाम कैसे जायेHow to reach
यहाँ जाने के लिए Nainital होकर जाना होता है और नैनीताल के लिए पंतनगर हवाई अड्डा निकट है . दिल्ली से कई ट्रेन काठगोदाम 300km तक जाती है .जहां से कैंची धाम आसानी से पहुंचा जा सकता है . दिल्ली से टैक्सी से जा सकते है .
When to go
september to jun
Where to stay
कैची धाम में ही कई Hotels व होम स्टे है . भोवाली और नैनीताल भी रुक सकते हैं . शनिवार इतवार को अधिक किराया लगता है . सामान्य दिनों में 1000 रु में दो लोग रुक सकते है . डोरमेट्री पांच सौ रूपये मिल जाती है.
What to eat
शाकाहारी भोजन मिल जाता है .कुमायु थाली भी मिलती है .
नीम करोली बाबा Kainchi dham भारत में तो प्रसिद्ध है ही लेकिन विश्व के पश्चिमी देशों में भी वह अत्यधिक लोकप्रिय हैं
एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने Kainchi dham आकर आध्यात्मिक अनुभव लिए और इनका उपयोग कर वे व्यवसाय में सेवा का मिशन लेकर सफल हुए। स्टीव जॉब ने रिचर्ड अल्पेर्ट की पुस्तक बी हियर नाऊ को पढ़कर इंडिया आने का विचार बनाया.
रिचर्ड नीम करोरी बाबा Kainchi dham से मिल चुके थे तथा उनसे आध्यात्मिक अनुभव लेकर उन्होंने इस क्षेत्र में कदम रखा , रिचर्ड अमेरिका में रामदास के रूप में प्रसिद्ध हुए।
स्टीव जॉब्स 1974 में भारत आए तो वह अपने साथ अपने मित्र डेंन कोट्टे को भी लेकर आए जो कि कुछ समय बाद एप्पल के पहले कर्मचारी बने . स्टीव Kainchi dha पहुंचे उसके एक वर्ष पहले बाबा का देहावसान हो चुका था.
स्टीव जॉब्स ने अपने अध्यात्मिक अनुभवों को तीन दशक बाद फेसबुक के मार्क जुकर्बेर्ग को बताते हुए कहा कि खुद को खोजना है तो नीम करोली बाबा के Kainchi dham जाओ। शुरुआती दौर में भारत आकर स्टीव जाब डिस्पॉइंट हुए थे.
किंतु उन्होंने बाद में अनुभूत किया कि भारत में लोग इनट्यूश का उपयोग करते हैं जबकि अमेरिकान्स इंटेलेक्ट का उपयोग करते हैं .इनट्यूशन का मतलब होता है सहज बुद्धि , अंतर ज्ञान और इंटेलेक्ट का मतलब होता है तर्कशक्ति तार्किक विचार या मेधा .
स्टीव ने भारतीयों के इनट्यूश की प्रशंसा की और कहा कि यहां के लोगों की सहज बुद्धि , अंतर ज्ञान पश्चिमी देशों के तर्क से श्रेष्ठ है।
Kainchi dham के नीम करोली बाबा को महाराज जी के नाम से भी जाना जाता है
Kainchi dhamआश्रम में जैसे ही प्रवेश करते हैं चारों ओर शांति आनंद और परमात्मा से निकटता महसूस होती है । नीम करोली बाबा को महाराज जी के नाम से भी जाना जाता है.
महाराज जी के पास सुपर नेचुरल पावर थी जिनमें एक ही समय में कई जगहों पर उपस्थित हो जाना ,लोगों के मन की बात पढ़ लेना और स्वयं को अंतर ध्यान कर लेना जैसे रहस्य छुपे हुए हैं.
नीम करोली बाबा ने वर्ष 1973 में अपनी देह को त्यागा। बाबा हनुमान के परम भक्त थे और लोग उनको उन्हीं के अवतार में देखते हैं। कंबल ओढे नीम करोली बाबा का चित्र लोगों का ध्यान बरबस खींच लेता है.
कैंची धाम नैनीताल से कोई 40 किलोमीटर पहाड़ों में बसा हुआ है . आस-पास कोई बड़ी बस्ती नहीं है .आश्रम नदी के दूसरी ओर है . नदी के इस पार कई छोटी-छोटी दुकान व डॉरमेट्री रुकने के लिए मिल जाती है ।
नई दिल्ली से शताब्दी लगभग सुबह 11:30 बजे काठगोदाम पहुंच गया . काठगोदाम पहुंचकर वही एक ओशो आश्रम में रुकने का बंदोबस्त किया . जाकर रुक भी गया लेकिन मन में विचार आया कि आज ही कैंची धाम पहुंचना चाहिए .
बस पकड़ी और शाम के 5:00 बजे कैंची धाम पहुंच गया । जाकर सीधे बाबा के आश्रम में पहुंचकर हनुमान जी के , बाबा की मूर्ति के दर्शन किये . मंदिर के बाहर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया ।
अत्यंत सादगी पूर्ण Kainchi dhamआश्रम: संस्मरण
कैंची धाम Kainchi dham के बारे में दूर से कल्पना की थी कि बहुत बड़ा आश्रम होगा .रुकने के लिए बड़ी-बड़ी धर्मशालाएं होगी .चारों तरफ धार्मिक प्रवचन के पंडाल होंगे . किंतु यहां आकर देखा तो अत्यंत सादगी पूर्ण Kainchi dham आश्रम को पाया.
बाबा हनुमान की मूर्ति एक छोटे मंदिर में स्थापित है उसके बगल में थोड़ी दूर पर नीम करोली बाबा की मूर्ति है .पास में माता का मंदिर है .परिसर भी बहुत ज्यादा विशाल नहीं है . लेकिन है अत्यंत ही सुंदर, बाहर कल कल बहती शिप्रा नदी वातावरण को और मनोरम कर देती है.
अप्रैल का महीना था शाम के 6- 6:30 बजे का वक्त रहा होगा .कुछ हल्की सी ठंडक थी मौसम में .हनुमान जी के दर्शन के बाद आंख बंद कर शांति से कोने में जाकर बैठ गए . जब तन्द्रा टूटी तो लगभग 7:30 बज रहे थे उठकर प्रसाद लिया . Kainchi dham में उबले चनों का प्रसाद मिलता है .
प्रसाद में भी किसी तरह का कोई आडंबर नहीं .राजा हो या रंग सभी को एक समान वही प्रसाद ग्रहण करना होता है । सबसे बड़ी बात Kainchi dham आडंबर नहीं ,किसी तरह के प्रवचन नहीं कोई भंडारा नहीं सब कुछ सामान्य सा.
लोग आते हैं दर्शन करते हैं एक तरफ बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं समय हुआ तो और आरती में शामिल होते हैं . बाबा का ध्यान लगाए यहां बैठे रहते हैं। मुझे भी अपूर्व शांति का अनुभव हुआ .
लगा कि किसी चैतन्य स्थान पर आ गए है। मन की उलझने कोसो दूर रह गई .Kainchi dhaमें बाबा के दर्शन कर वहीं पास की डॉरमेट्री में विश्राम किया .सवेरे फिर दर्शन किए और वापस अपने घर की ओर चल पड़ा .
यहां की अपूर्व शांति मन को सुकून देती है ,अलौकिक अनुभव तो होता ही है। यहां आने का बार-बार मन करता है अर्थात यह स्थान आपको अपनी ओर खींच रहा है। 15 जून को प्रतिवर्ष कैची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है . @Article written by :Harishankar sharma
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