Kamakhya मंदिर 51 शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है
Kamakhya मंदिर पूर्वोत्तर राज्य असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से कोई 6 किलोमीटर दूर है .नीलांचल पहाड़ियों पर स्थिति यह मंदिर महान तांत्रिक महत्व का है .मां भगवती Kamakhya सिद्ध पीठ सती के 51 शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है .यहां पर भगवती की महामुद्रा योनी कुंड स्थित है .यह माना जाता है कि जो भी बाहर से आए भक्तगण जीवन में तीन बार इस मंदिर में मां के दर्शन कर लेते हैं उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिल जाती है. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तेस्यै नमो नमः.
How to go Kamakhya guwahati
रेलमार्ग से दिल्ली मुंबई, भोपाल, इंदौर, जयपुर, जोधपुर, अहमदाबाद से जुडा है यहॉं से सीधी ट्रैन है. दिल्ली, मुंबई हवाई अड्डों से सीधी फ्लाइट है. सडक मार्ग से भी जाया जा सकता है.
What to see
काजीरंगा नेशनल पार्क,उमानंद मंदिर, असम राज्य संग्रहालय, पोबितोरा वन्यजीव अभयारण ,गुवाहाटी चिड़ियाघर,गुवाहाटी तारामंडल ,ब्रह्मपुत्र नदी में क्रूज़ की सवार
when to go
पूरे वर्ष, सितम्बर से फरवरी का समय ज्यादा अच्छा है.
Where to stay Kamakhya
मंदिर के आसपास कई अच्छी होटल्स है.
What to eat at Kamakhya
गुवाहाटी में मारवाड़ी लोग अधिक रहते है. शुद्ध शाकाहारी भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाता है.
माँ Kamakhya का चमत्कार एक अनुभव
यह पता नहीं था की मां कामाख्या Kamakhya का इस तरह से बुलावा आ जाएगा. छोटे बेटे ने Clat की परीक्षा दी थी और रैंक लगभग 2500 के आसपास बनी थी. पहली,दूसरी काउंसलिंग में कहीं एडमिशन नहीं हुआ था आते-आते आखिरी काउंसलिंग भी निपट गई. लेकिन एडमिशन अभी भी मृग मरीचिका बना हुआ था. एन एल यू गुवाहाटी की कॉलेज लेवल की भी दूसरी काउंसलिंग में एडमिशन होने की सूचना प्राप्त हुई.
कॉलेज द्वारा कहा गया कि अगले 4 दिन में ही रिपोर्ट करें.12 या 13 अगस्त की बात थी और क्लासेस 18 अगस्त से शुरू होने वाली थी. उज्जैन से जैसे तैसे मालवा एक्सप्रेस से RAC के दो टिकट बुक हुए और दिल्ली से गुवाहाटी Kamakhya जाने के लिए राजधानी एक्सप्रेस में वेटिंग के टिकट मिले.इस बीच तत्काल जाने के लिए हवाई मार्ग की भी जांच की गई लेकिन किराया अधिक होने से इसको दूसरे विकल्प पर रखा गया.
अगस्त की उमस भरी गर्मी और पूरे उत्तर प्रदेश को पार करके स्लीपर में दिल्ली पहुंचना वह भी RAC टिकट के साथ बहुत ही कठिनाई भरा सफर था.सुबह 5 बजे एक अच्छी सूचना आई कि नई दिल्ली डिब्रूगढ़ राजधानी में टिकट कंफर्म हो गए हैं.सुबह 6:00 बजे दिल्ली स्टेशन पर उतरे. जैसे ही प्लेटफार्म पर राजधानी एक्सप्रेस लगी थर्ड एसी में जाकर आराम से फैल गए.
राजधानी का सफर पहली बार था इसलिए थोड़ी जिज्ञासा भी थी. लगभग 50 घंटे का सफर था.रास्ते में केटरिंग सेवा वालों ने बहुत ही अच्छी सर्विस दी.एक लंबा सफर तय कर गुवाहाटी स्टेशन पर शाम 5:00 बजे पहुंचे.पूर्वोत्तर के गेटवे असम की कभी राजधानी रहा गुवाहाटी शहर उत्तर भारतीय शहरों से कोई अलग नहीं लगा.स्टेशन के बाहर जिस तरह से दुकान और रिक्शा खड़ी थी उससे ऐसा लगा हम किसी राजस्थान के शहर में आ गए हैं.
गुवाहाटी का Kamakhya मंदिर विश्व प्रसिद्ध है ऑनलाइन होटल बुकिंग सिस्टम में जाकर मंदिर के ठीक पास एक होटल मिल गया और हम Kamakhya मंदिर की पहाड़ी पर पहुंच गए. रात में वहां रुक सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत हो मां Kamakhya के दर्शन करने निकल पड़े.Kamakhya मंदिर की सीढ़ियां जब चढ़ रहे थे तो देखा कि कुछ लोग अपने साथ बकरे व भेड़ के बच्चे लेकर जा रहे हैं .
कुछ अजीब सा लगा लेकिन जब जानकारी ली तो बताया गया कि यहां Kamakhya में जानवरों की बलि देने की परंपरा है. बलि का कार्य Kamakhya मुख्य मूर्ति के साइड वाले भाग में किया जाता है जिससे कि अन्य लोगों को किसी तरह Kamakhya दर्शन में डिस्टरबेंस ना हो.अन्य देवियों के मंदिर की तरह यहां Kamakhya में भी मां पहाड़ों में विराजित है.
Kamakhya के दर्शन के लिए भी लंबी लाइन थी .कतार में लगकर धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और अंत में Kamakhya देवी के ठीक सामने थे. गर्भग्रह में माता Kamakhya विराजित थी हमने दर्शन किए प्रार्थना की ओर वापस आ गए. होटल से निकलकर अमीनगांव स्थित Nlu कैंपस में गए एडमिशन कराया. अगले दिन वापसी यात्रा शुरू कर दी. वापसी में गुवाहाटी – मुंबई एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस से खंडवा का टिकट मिल गया.
उज्जैन से कोई 1800 किलोमीटर दूर एक अनजान से कॉलेज में बेटे को छोड़कर आने में मन भारी हो रहा था. लेकिन मां Kamakhya का एक बार और दर्शन कर निवेदन किया कि बच्चा तुम्हारे हवाले छोड़ जा रहा हूं सुरक्षा करना माँ .माँ Kamakhya ने लाज रखी. 2 वर्ष बाद कॉलेज कैंपस में लड़का हाई टेंशन लाइन से टच हो गया. ऐसे एक्सीडेंट में भी जीवित बच गया जिसमें बचने की संभावना लगभग नही होती है. इससे सिद्ध हुआ सच्चे मन से की गई प्रार्थना मां Kamakhya स्वीकार करती है. Kamakhya सदैव अपने भक्तों का ध्यान रखती है, उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है.
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