Ranthambore नेशनल पार्क में स्टार पार्क के रूप में जाना जाता है
यहां पर देश के प्रधानमंत्री ,बड़े-बड़े अभिनेता और अन्य सेलिब्रिटी अपनी छुट्टियां बिताने व टाइगर से मुलाकात करने आते रहे हैं . Ranthambore नेशनल पार्क के अंदर घुसते ही कई रिजॉर्ट बने हुए हैं जिनका किराया ही 15 से 20 हजार रु प्रतिदिन होता है .जितने बड़े स्टार उतना बड़ा किराया.
Ranthambore का क्षेत्र काफी फैला हुआ है और यहां पर बड़ी संख्या में टाइगर ,हिरण ,बारासिंघा और अन्य प्रजाति के पशु तथा कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं .वाइल्ड लवर और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह निश्चित रूप से यह एक खजाने के समान है.
जंगल सफारी शुरू करने का कारण यह भी रहा है कि लोग प्रकृति के निकट पहुंचे .वन्य प्राणियों के निकट पहुंचे ,उनके जीवन को देखें और उनके संरक्षण में मदद करें. किसी जमाने में राजा महाराज टाइगर और शेरों का शिकार करने में अपनी बहादुरी समझा करते थे और उनके आलीशान महल में शेरों और बाघ की खाल का प्रदर्शन कर वह अपनी जाबांजी का प्रचार किया करते थे.
बेचारे बाघ , शेर बिना बात के ही झूठी शान में मारे जाते थे .आजादी के बाद टाइगर संरक्षण के लिए देश में कई नेशनल पार्क बनाए गए उनमें Ranthambore भी प्रमुख पार्क है.
हम लोगों ने दिसंबर माह में Ranthambore जाने का विचार किया .हालांकि यह महीना अत्यधिक भीड –भाड़ का रहता है . वनों में हरे पत्ते होते हैं इसलिए बाघ के दर्शन भी कम ही होते हैं .लेकिन फिर भी हम रेलवे के रास्ते सवाई माधोपुर हो कर लगभग शाम के समय रणथंभौर नेशनल पार्क के बाहर वाले क्षेत्र में पहुंच गए.
एक ठीक-ठाक जगह देखी और रुक गए. अगले दिन सुबह 6:00 बजे से सफारी के लिए टिकट मिलते है तो लाइन में लगना पड़ा और हमारी किस्मत में सेपरेट जिप्सी नहीं थी एक बडे कैंटर में जगह मिली . इस पर सवार होकर जंगल की ओर निकल पड़े . पार्क में अलग-अलग रास्ते हैं .हमारे लिए जो रास्ता चुना गया वह गाइड के अनुसार अच्छा था और इसमें टाइगर दर्शन होने की उम्मीद ज्यादा थी.
धीरे-धीरे जंगल में उतरने लगे .रास्ते में सबसे पहले हिरण से मुलाकात हुई जो कि आमतौर पर यहां -वहां घास खाते दिख जाते हैं .इसके बाद एक जगह पर बारासिंगा जुगाली करते दिखा .सियार, खरगोश सांप और नेवले तो पाए जाते हैं थोड़ी सी नजर रखने की देर होती है , दिखाई पड़ जाते हैं.
हमारी केंटर जिसमें लगभग 25 -30 सवारी थी धीरे-धीरे Ranthambore जंगल में चल रही थी .लाल मिट्टी वाले रास्ते से गुजरते गुजरते एक नाले के किनारे पहुंची .सामने से एक जिप्सी क्रॉस हुई उसके वाहन चालक ने केंटर के ड्राईवर से कुछ कहा और आगे बढ़ गया .
कुछ दूरी पर जाकर हमारे ड्राइवर ने गाड़ी बंद कर दी सब स्तब्ध थे .बाहर बंदरों और हिरनों की अजब सी आवाज आ रही थी . गाइड ने बताया कि टाइगर का मूवमेंट आसपास ही कहीं हो रहा है. हम सभी दम साधे टाइगर देवता के दर्शन के लिए आतुर थे .तभी अचानक पीछे की ओरआहट हुई और केंटर के एकदम पीछे मस्त चाल में चलता टाइगर दिखा .सभी लोग चुपचाप जाते हुए जंगल के मालिक को जाते देख रहे थे .
शायद टाइगर का पेट भरा था और वह आराम से इधर से उधर टहल रहा था . आधे रास्ते ही हमारा टारगेट पूरा हो गया .बस आगे तो अलग-अलग स्थान के बारे में जानकारी और कहीं कोई नया जानवर दिखाई पड़ता है तो गाइड उसके बारे में वर्णन करता चल रहा था .
लगभग 3 घंटे की जंगल सफारी के बाद हम कैंप लौट आये . दिसंबर महीने में भी टाइगर के दर्शन होना भाग्यशाली लोगों के ही भाग्य में होता है .जो हमारे नसीब में था .हम अपनी सफल यात्रा के साथ वापस अगले दिन सवाई माधोपुर स्टेशन पर पहुंचे और इंदौर की गाड़ी पकड़ी.
Ranthambore कैसे जाएं
रणथंबोर सड़क मार्ग से जयपुर , भरतपुर ,कोटा नई दिल्ली से बहुत अच्छी तरह जुड़ा है .निकटतम रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर है यहां पर दिल्ली -मुंबई लाइन गुजरती है .दोनों ही ओर से कई महत्वपूर्ण गाड़ियों का ठहराव यहां पर है .निकटतम हवाई अड्डा जयपुर है .रणथंबोर बहुत ही आसानी से पहुंचा जा सकता है
Ranthambore कब जाए
एक अक्टूबर से लेकर 30 जून तक जंगल सफारी खुली रहती है .इस बीच कभी भी जा सकते हैं .लेकिन जब पतझड़ का मौसम होता है तब जाया जाए तो टाइगर दर्शन के अधिक चांसेस रहते हैं.यह 80 टाइगर है .
कहां ठहरे
Ranthambore टाइगर रिजर्व के बाहर कई होटल उपलब्ध है .कई इकोनामिक ठहरने की व्यवस्था भी है .टाइगर रिजर्व के अंदर अत्यधिक महंगे रिजॉर्ट है .अपने हिसाब से चुनाव किया जा सकता है .यहां पर राजस्थानी भोजन दाल बाटी चूरमा ट्राइ करे .यहाँ सभी प्रकार के खाने उपलब्ध होते हैं.
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photo courtesy wikimap, ranthmbor.com.