Kerala; Ravishing Kerala with houseboat only rs 19435 पर पर्सन
Kerala घूमने का मन है और विशेष जानकारी नहीं है तो आईआरसीटीसी का केरला टूर पैकेज ले लीजिए.यह बहुत ही सस्ते में मिल रहा है. मात्र 19435 रुपए में चार रातें लग्जरी होटल में, एक रात झील के बीच हाउस बोट ketuvalm मे गुजारिये.
सुबह का हैवी ब्रेकफास्ट और रात का डिनर इसमें शामिल है. साथ ही कोची रेल्वे स्टेशन / एयरपोर्ट से पिक एंड ड्राप, ए सी वाहनों से कोचीन से बाय रोड मुन्नार, थेकड़ी, एलेप्पी / कुमारकोम विजिट साइट सीइंग शामिल है.
Kerala टूर प्रोग्राम IRCTC package
Day 01
इस पैकेज के तहत पहले दिन कोचिन रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट से से कोचीन लाकर होटल में ठहरना, हाफ डे साईट सीइंग .कोचिन में इवनिंग मरीन ड्राइव भ्रमण.
Day 02
कोचिन से मुन्नार की ओर बाय रोड.मुन्नार के रास्ते चियापारा वॉटरफॉल विजिट ,शाम मे कल्चरल प्रोग्राम.मुन्नार होटल में रात्रि विश्राम.
Day 03
मुन्नार में ब्रेकफास्ट के बाद एर्नाकुलम नेशनल पार्क, कुडाल डेम, इको पॉइंट, शॉपिंग व नाइट स्टे मुन्नार में.
Day4
मुन्नार से चेक आउट कर बाय रोड थेककड़ी पहुंचना होटल में चेक इन करना दोपहर लेक में बोटिंग, पेरियार वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी विजिट व नाइट स्टे.
Day 05
कुमारकोम या अल्लेप्पी बाय रोड पहुंचने के बाद हाउसबोट में चेक इन करना व लंच. क्रूज के द्वारा बैकवॉटर जर्नी .नाइट स्टे हाउसबोट में.
Day 06 –
हाउसबोट से चेक आउट कर कोचिन की ओर रवाना होना.लंच के बाद कोचिन में लुलु मॉल विजिट और उसके बाद रेलवे स्टेशन/ एयरपोर्ट पर ड्राप करने के साथ ही पैकेज समाप्त होगा.
क्या शामिल है Kerala पैकेज मे
ए सी वाहन से बाय रोड केरल यात्रा.चार नाइट होटल में रुकना व एक नाइट हाउस बोट में. सभी होटल केरल टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की लग्जरी होटल के समक़क्ष होंगे. मुन्नार और थेकाडी में नॉन एसी होटल रूम. यहां ए सी की आवश्यकता नहीं होती है.सभी प्रकार के टोल,पार्किंग अन्य टैक्स और ट्रैवल इंश्योरेंस पैकेज में शामिल है.
Kerala पैकेज में क्या शामिल नहीं है
स्मारक, म्यूजियम,सेंचुरी, बोटिंग , एंट्री फीस यात्रियों को वहन करना होगी.
Kerala हॉलिडे पैकेज में क्या देखने को मिलेगा
मुन्नार, यह हिल स्टेशन है जो समुद्र तल से 1700 मीटर ऊंचाई पर है. यहां लेक और चाय के बागान आकर्षण का केंद्र है. बोटिंग भी की जा सकती है. थेकाड़ी में पेरियार नेशनल पार्क है. कोची एर्नाकुलम जिले का एक बंदरगाह है. इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता है.
कुमारकोम और अल्लेपी ऐसे शहर है जो अपने बैक वाटर गेट वे के कारण प्रसिद्ध है .यहां से बैकवॉटर जर्नी शुरू करने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.
Kerala कब जाये
सितंबर से लेकर फरवरी के बीच यहां का मौसम अच्छा रहता है.नवंबर -दिसंबर- जनवरी यहां के पीक सीजन होते हैं
Kerala कैसे जाये
इस पैकेज का लाभ लेने के लिए पर्यटकों को कोचिन पहुंचना होगा. कोचिन रेल मार्ग से मुंबई ,दिल्ली ,मद्रास, बेंगलुरु आदि स्थानों से जुड़ा हुआ है. कोचिन में एयरपोर्ट की सुविधा भी है दोनों ही मार्ग से यहां जाया जा सकता है.
Kerala पैकेज का विश्लेषण
पर्यटकों के लिहाज से यह पैकेज काफी किफायती नजर आता है. तीन व्यक्ति जा रहे हैं तो होटल के एक के रूम को शेयर कर सकते हैं और यह प्रति व्यक्ति 19 हजार 435 रुपए पड़ता है. इसमें चार दिन होटल में रुकना एक दिन हाउस बोट मे रुकना.
API पैकेज के अनुसार सुबह हैवी ब्रेकफास्ट और नाईट में डिनर दिया जाएगा. व्यक्तिगत रूप से यदि जाते हैं तो कहीं अधिक खर्च करना पड़ सकता है. जिस तरह की होटल और वहां की व्यवस्था आईआरसीटीसी द्वारा पैकेज में दी जा रही है निश्चित रूप से Value for money है.
Kerala पैकेज की उपलब्धता
www.irctc.co.in वेबसाइट पर जाकर 01 से 31 अगस्त और 01 से 27 सितम्बर के बीच किसी भी डेट में सुविधा अनुसार बुकिंग करवाई जा सकती है .बुकिंग के पहले नियम व शर्ते एक बार पढ़ लें .
एलेप्पी से कोल्लम बैकवॉटर जर्नी : यात्रा संस्मरण
Kerala के Back water के बारे में 90 के दशक में इंडिया टुडे में टूरिज्म को लेकर एक आर्टिकल प्रकाशित हुआ . Kerala को Gods own Country कहा जाता है .
Kerala के टूरिज्म को विकसित करने में वहां के तत्कालीन पर्यटन सचिव Dr Amitabh kant का हाथ है उन्हीं के द्वारा टूरिज्म का व्यापक प्रचार प्रसार किया और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का कार्य किया गया . अमिताभ कांत आजकल Niti Ayog के सीईओ है।
इंडिया टुडे के आलेख को पढ़कर मन में हुआ कि कभी अवसर मिला तो Kerala जाकर बेकवाटर जर्नी का अनुभव करेंगे। इस बात को कोई दो दशक बीत गए.
संयोग से अवसर आया और कुछ मित्रों के साथ नागदा से मरूसागर एक्सप्रेस में बैठ गये । जोधपुर से लेकर एर्नाकुलम स्टेशन तक जाने वाली Marusagar express बॉम्बे ,कोकण रूट , गोवा और मेंगलुरु होकर एर्नाकुलम 38 घंटे में पहुंचती है.
cochin में एक नाइट रुक कर अगले दिन सवेरे –सवेरे Alleppy या अल्पूझा जाने वाली ट्रेन से लगभग 9:30 के आसपास एलेप्पी पहुंच गए । अलेप्पी से कोल्लम के लिए 70 सीटर बोट तैयार खड़ी थी.
हमने टिकट लिया और उस वोट में सवारी कर ली । अल्लेप्पी से कोल्लम तक डबल डेकर बोट सुबह 10:30 बजे निकल कर शाम को 6:30 बजे पहुंचती है .
यह दूरी कोई 80 किलोमीटर है जो Boat से तय होती है .अल्लेप्पी से निकलकर कुछ ही देर में हम वेबनाड झील में प्रवेश कर गए. झील में के बहुत सारी छोटी नोकाए दिखाई दी बताया गया कि यहां पर हर साल नेहरू ट्रॉफी होती है जिसमें हजारों लोग नौका प्रतियोगिता को देखने के लिए इकट्ठे होते हैं ।
बोट हौले- हौले बैक वाटर से होकर आगे बढ़ने लगी . जैसे-जैसे आगे जा रहे थे हमारे सामने एक नया ही दृश्य उपस्थित था . नहर के दोनों किनारो पर लाइफ अपने हिसाब से चल रही थी .लोगों के घर थे ,कुछ लोग फिशिंग कर रहे थे, कई महिलाएं अपने घर के कपड़े धो रही थी .
यह हम उत्तर भारतीय लोगों के लिए एक अलग ही अनुभव था .छोटी नदी जैसी कैनाल में में लोग नाव से आ जा रहे थे .छोटे-छोटे रोजमर्रा के काम कर रहे थे .कोई नाव में सब्जी भाजी की दुकान लेकर आए थे तो कोई सीमेंट सरिया ।
बताया गया कि यहां के के सभी काम व आवागमन इस बेक वाटर के परिवहन से ही होते हैं . गांव को जोड़ने का काम नहरों का ही है . Kerala में 900 किलोमीटर लंबे इस बैक वाटर में इस तरह का जनजीवन है देखकर आश्चर्य हुआ . Kerala के बैकवॉटर को पूर्व का वेनिस कहा जाता है।
किस्मत से हमारे Boat में एक इटालियन कपल भी था जो अंग्रेजी भी अच्छे से बोलता था . उनसे बातचीत में पता लगा कि वेनिस में भी इसी तरह का जीवन है लेकिन वहां उसकी लंबाई इतनी नहीं है . बहुत ही थोड़े से क्षेत्र में नहर है यहां तो एक 900 किलोमीटर लंबा अंतहीन सिलसिला है . इसमें से मात्र 80 किलोमीटर की यात्रा में हमें आठ घंटे लगे .
हम लोग बोट की छत पर जाकर बैठ गए जो ओपन थी और यहां से दोनों और के नजारे बहुत ही सुंदर नजर आ रहे थे . अचानक मुझे अनूप जलोटा द्वारा गई एक ग़ज़ल की पंक्तियां याद आ गई मै नजर से पी रहा हूं यह समां बदल ना जाए .
जलयात्रा लम्बी थी लेकिन कहीं से भी बोर नहीं हो रहे थे . हर बार एक नया दृश्य सामने होता था. नहर से निकलकर झील में , झील से से नदी के मुहाने तक पहुंच कर अत्यधिक रोमांचित हो उठना इस यात्रा की खासियत है ।
यात्रा के मनोहरी दर्शन और अनुभव को शब्दों में बांधना अत्यधिक कठिन है । कुछ दृश्य ऐसे होते है जिन्हें महसूस ही किया जा सकता है, बयान नहीं किया जा सकता ।
Kerala में बैक वाटर के साथ-साथ स्थान -स्थान पर आयुर्वेद ने भी स्वयं को स्थापित कर लिया है. विदेशी लोग यहां के आयुर्वैदिक स्पा में महीनों रहकर स्वास्थ्य लाभ लेते हैं।
दोपहर के कोई 1:00 बजे होंगे और बोट साइड में लंगर डालकर खड़ा हो गया . यहां पर बहुत ही रमणीक स्थान पर एक रेस्टोरेंट बना हुआ था जहां लंच ब्रेक दिया गया.
पारंपरिक Kerala खाने का स्वाद हमने यहां चखा . चावल के साथ रसम , साम्भर व कई तरह की मसाला चटनिया परोसी गई जो जबान पर देर तक अपना असर दिखाती रही ।
भोजन के बाद फिर से यात्रा शुरू हो गई . फिर वही नारियल के पेड़ों का झुरमुट और आसपास के कस्बे पीछे छूटने लगे . हरियाली उमस वाले वातावरण में मन को ठंडक प्रदान कर रही थी ।
जैसे ही बोट किसी झील में प्रवेश करती कई केटूवलम दिखाई पड़ती. केटूवलम एक प्रकार का Kerala का यूनिक हाउसबोट है जो नारियल और अन्य पेड़ों के पत्तों और किमचियों से तैयार किया जाता है . इस में वेस्टर्न टॉयलेट्स व एयर कंडीशन लगे हुए हैं .
झील के बीचों बीच लोग इसमें रात्रि बिताते हैं । इस का एक दिन का किराया 10000 से ऊपर ही होता है . बैकवॉटर जर्नी के ठीक बीच में मां अमृतानंद आश्रम दिखाई दिया. अमृतपुर में बने आश्रम में 3000 से अधिक लोग रहते हैं .
बैकवॉटर जर्नी के बीच-बीच में कई बार डक फॉर्मर जल – मुर्गियां Duck जिनकी संख्या 500 -700 से अधिक होगी को अपने छड़ी के इशारों से व मुंह से आवाज निकाल कर अपने हिसाब से पानी में हांकते हुए ले जाते दिखाई पड़ते है . जैसे उत्तर भारत में ग्वाले चौपायो को हांक कर ले जाते है .यह भी कोतुहल का विषय है .
बैकवॉटर जर्नी समाप्ति की ओर थी. शाम ढल रही थी और एक बड़ी सी नदी का मुहाना आ गया. जहां से समंदर दिखाई पड़ रहा था .नदी के मुहाने और समुद्र के प्रवेश द्वार पर हमने सूर्यास्त के खूबसूरत नजारों को देखा और कोल्लम की ओर चल पड़े.
80 किलोमीटर की यह Kerala बेकवाटर जर्नी हमारे जीवन की सबसे लंबी जलयात्रा थी. इसका हमने भरपूर आनंद लिया प्राकृतिक दृश्यों का जी भर कर नजरों से पान किया।
About Back water of kerala
Kerala में आपस में जुड़ी हुई नदिया और नहरो का लगभग 900 किलोमीटर से अधिक लंबा नेटवर्क है .यह जलमार्गों की भूल भुलैया है .
इस नेटवर्क में पांच बड़ी झीले और 38 नदियां शामिल है . इस नेटवर्क में पश्चिमी घाट श्रृंखला से नीचे बहने वाली कई नदियों के मुहाने पर कम अवरोध द्वीप बन गए हैं .
जिनके कारण इन नहरो में 12 महीने स्थिर पानी भरा रहता है. इसे ही बैक वाटर कहा जाता है. इस संपूर्ण परिदृश्य में कई कस्बे व शहर बसे हैं और वेबनाड नाम की सबसे बड़ी झील नेटवर्क में शामिल है।
Article written by @ harishankar Sharma.
यह भी देखे : http://Vaishno devi के दर्शन और चिनाब ब्रिज देखना हो तो IRCTC का हॉलिड
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बहुत ही सुन्दर वर्णन. सटीक एवं उपयोगी जानकारी.
thanks sir
thanks
Excellent information
thanks sir